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Friday, August 2, 2024

बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए इंडियन पब्लिक स्कूल बरही प्रबंधक कामता जायसवाल एवं उनके सहयोगियों द्वारा जरूरतमंदों क़ो बाँटी गई सामग्री एवं भोजन


कटनी :- ढीमरखेड़ा के लोगों ने समाजसेवियों और एनजीओ के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने इस आपदा की घड़ी में मिली सहायता को याद किया और आगे भी समाजसेवा में योगदान देने की इच्छा व्यक्त की। यह देखा गया कि संकट के समय में समाज का सहयोग कितना महत्वपूर्ण होता है और कैसे एकजुट होकर कठिनाइयों का सामना किया जा सकता है। ढीमरखेड़ा में बाढ़ की स्थिति ने यह दिखाया कि आपदाओं के समय समाजसेवियों और एनजीओ का योगदान कितना महत्वपूर्ण होता है। उनके प्रयासों से न केवल लोगों को तत्काल राहत मिली बल्कि दीर्घकालिक पुनर्वास के लिए भी मदद मिली। 


इन संगठनों और व्यक्तियों ने मानवता और सेवा की सच्ची भावना का प्रदर्शन किया और यह संदेश दिया कि किसी भी संकट का सामना एकजुट होकर किया जा सकता है। इस घटना से यह भी सीखने को मिला कि बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए पूर्व तैयारी कितनी आवश्यक है और इसके लिए सरकारी और गैर-सरकारी दोनों स्तरों पर सतत प्रयास होने चाहिए। समाज की एकजुटता और समर्थन से ही हम किसी भी विपत्ति का सामना कर सकते हैं और इससे उबर सकते हैं। इसी क्रम मेँ कामता जयसवाल, मस्तराम राय, वंशरूप चौधरी, मध्यप्रदेश समाचार संपादक राजा सूर्यवंशी, और प्रेम दास उर्फ मंजू शामिल थे, जिन्होंने बाढ़ पीड़ितों के राहत कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

     


  राहत सामग्री का  किया वितरण

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री के वितरण के दौरान अनेकों प्रकार की सामग्री वितरित की गई।

आटा: 70 किलो

चावल: 55 किलो

गुड़: 5 किलो

दाल: 10 किलो

पैकिंग फुड: 400 पैकेट

दवाईयां: विभिन्न प्रकार की आवश्यक दवाइयाँ

                           कपड़े

10 नग कम्बल 

20 नग साड़ी

टी शर्ट

लोगों की प्रतिक्रियाएं और योगदान

राहत सामग्री वितरण के दौरान बाढ़ प्रभावित लोगों के चेहरों पर राहत और खुशी देखने को मिली। उनके चेहरे पर मुस्कान यह दर्शाती है कि उन्हें जरूरी सहायता और समर्थन मिला। ऐसे कठिन समय में, इस प्रकार की मानवीय सहायता न केवल उनकी आवश्यकताओं को पूरा करती है बल्कि उन्हें मानसिक रूप से भी मजबूत बनाती है। कामता जायसवाल और मस्तराम राय ने बताया कि यह मदद उन लोगों के लिए थी जो बाढ़ के कारण अपने घर और सामान खो चुके थे। उनका उद्देश्य यह था कि जरूरतमंदों तक तुरंत सहायता पहुंचाई जा सके। वंशरूप चौधरी ने कहा कि इस प्रकार की पहल से प्रभावित लोग खुद को अकेला महसूस नहीं करेंगे। राजा सूर्यवंशी और प्रेम दास (मंजू) ने बताया कि राहत सामग्री का वितरण पूरी तरह से स्वच्छता और सुरक्षा के मानकों के तहत किया गया। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि वितरण के दौरान किसी प्रकार की भीड़भाड़ न हो और सभी को समान रूप से सामग्री मिल सके।

     


         सामुदायिक भावना और एकजुटता

इस राहत कार्य ने सामुदायिक भावना और एकजुटता को बढ़ावा दिया। विभिन्न वर्गों के लोगों ने मिलकर इस कार्य को सफल बनाया। इसके साथ ही, इस घटना ने यह भी दर्शाया कि कठिन समय में एकजुट होकर काम करने से बड़े से बड़ा कार्य भी सरल हो सकता है।

                       भविष्य की योजनाएं

इस टीम ने भविष्य में भी इसी प्रकार के राहत कार्यों के लिए तैयार रहने का संकल्प लिया। उनका मानना है कि आपदा के समय में मदद करना हर नागरिक का कर्तव्य है। वे अन्य संगठनों और व्यक्तियों को भी इस दिशा में आगे आने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इस तरह के राहत कार्य न केवल बाढ़ प्रभावित लोगों की स्थिति को सुधारते हैं बल्कि समाज में एकता और सहयोग की भावना को भी मजबूत करते हैं। यह आवश्यक है कि हम सभी मिलकर ऐसे कठिन समय में एक-दूसरे की मदद करें और समाज में सकारात्मक बदलाव लाएं।

                          अशोक कुमार मिश्रा 

                                 संयोजक 

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